मेरी सहेली स्वाति कभी कभी टीवी धारावाहिक देख लेती है, पर उस की ५ साल की बेटी शायद ही कभी अपने निर्धारित धारावाहिक का कोई भाग छोड़ती है.आज कल उस का प्रिय सीरियल है 'बालिका बधू' । उस का न तो वह कोई एपिसदे मिस करती है न ही उस पर वार्ता. अगर उसे स्कूल के होमवर्क की याद दलाई जाए तो वह बड़ी मासूमियत से कहती है की वह एदुकाशनाल्प्रोग्राम देख रही है।
क्या एदुकाशनल प्रोग्राम? बालिका बधू।
उस में क्या एदुकाशनल है? आख़िर में आनेवाला संदेश।
इसे कहते हैं 'फील गुड फैक्टर', कोई अपराध बोधिता के लिए कसर नही छोडी गई, धारावाहिक बनाने वाले काफी समझदार हैं.
एक दिन वह मुझ से बोली, "आंटी मम्मी को कितनी बार कहा की बालिका बधू देखिये परंतु वह मेरी सुनती ही नही हैं' । "क्यूँ बेटा, उस धारावाहिक मे क्या है, इतना जानने वाला?" वह बोली "आनन्दि के मम्मी पापा कितने समझदार है. उन्होने उस कि शादी करदी, और उस की दादीसास और भी, वह उस को पढने को मना करती हैं. एक मेरी मम्मी है, हर वक्त पढने को कहती रहती है.आनन्दि कितने सुन्दर कपडे और गहने पहनती हैं।और पता हैं, उस को मकेउप भी करने को मिलता हैं...मम्मी तो करने ही नहीं देतीं ."
Wednesday, October 14, 2009
Sunday, February 11, 2007
केस स्टडी
एक समय की बात है, दूर एक टापू पर बिल्लिओं का एक साम्राज्य था जिस पर मिआऊं नामक राजा राज करता था. उस साल राज में अकाल पडा था. राजा मिआऊ बहुत चिन्तित थे. उन्होनें अपने जासूसों को चारो तरफ़ दौडाया.जासूसों ने राजा को बताया की अकाल का कारण, चूहों की बड्ती साक्षरता दर है, तथा चूहे सशक्तिकरण मे पूरी तरह जुट गये हैं. उन्होनें एक आपातकालीन बैठक बुलवाई और इसे गम्भीरता से विचार करने को कहा. राजा के सबसे चतुर मन्त्रियों ने इन्सानों की केस स्टडी पढी और, राजा को कुछ सुझाव बताये.
राजा : आप के इस विपदा से निपटने के लिये क्या सुझाव है?
मंत्री : महाराज, हमारा सुझाव है कि, कुछ बुजुर्ग चूहों को सम्मानित कर, मंत्री पद देना चाहिये.
राजा : क्या? इस से क्या हासिल होगा? और वो क्यों आएंगे?
मन्त्री : मै आप के दूसरे प्रश्न का उत्तर पहले दूंगा. सबसे पहले, कल से हर अखबार और टीवी पर यह छपवाया जाये, की एक प्राचीन धार्मिक पुस्तक खुदाई में बाहर आई है जिस मे लिखा है की, बिल्ली और चूहे एक ही राजा उत्बिलौचू की सन्ताने हैं पर, समुद्र मन्थन के समय राजा उत्बिलौचू ने एक रिषि की पत्नी को क्रोधित कर दिया था.रिषि की पत्नी ने राजा को श्राप दिया कि तुम सब छोटे जीव बन जाओगे जिसे चूहा कहा जायेगा. राजा ने बहुत पश्चाताप किया तो रिषि की पत्नी को दया आगई और उन्होने राजा से कहा "वत्स! मै बोले वचन वापस तो नही ले सकती, परन्तु बदल सकती हुं, तुम्हारे दो पुत्रों,मिचू और मिआऊं में से एक पुत्र चूहा बन जाएगा, परन्तु याद रहे, उस पुत्र को यह श्राप स्वेच्छा से अपने पर लेना होगा.".राजा चिंता में डुब गये, यह देखकर, चूहों के पुर्वज, मिचू, आगे आये और कहा"पिता श्री! त्याग ही मोक्ष का पथ है, मै अपनी कुरबानी दूंगा और मेरी आने वाली पीडी इसी ज्ञान पथ पर अग्रसर रहेगी, तभी उन्हें मोक्ष मिलेगा. "
महाराज! इस धार्मिक पुस्तक को बडे सम्मान से एक स्थान पर रखा जाये, उस पूजा स्थल पर मिचू की मुर्ति बनाइए, प्रचार किया जाये की यही हमारी संस्क्रिति और सभ्यता है. चूहे पूजनीय हैं, त्याग की मूर्ति हैं, उनका सम्मानित स्थान है, और वह हमारे साथ रहें, हम उनको देवी का स्थान देंगे.उनको अपने पवित्र चरण हमारे घरों से निकालने कि आवश्यक्ता नही है. यही नहीं, महाराज, हम एक चूहा सशाक्तिकरण मन्त्रालय बानाएंगे. पार्लियामेन्ट में चूहा बचाव बिल पारित करेंगे.कोई भी चूहा उत्पीड्न शिकायत आने पर तुरन्त चूहा उत्पीड्न कमेटी को गठित किया जायेगा. महाराज,इस कमेटी का अध्यक्ष एक चूहा होगा जिसे हम अपोइन्ट करेंगे. यह अध्यक्ष पद वाले चूहे हम अलग से तयार करंगे, जिहें हमारे सरकारी अफ़्सर प्रशिक्शन देंगे.इस तरह एक "जी हजूर" की बिना दिमाग वाली नस्ल तैयार होगी जो हमारी इस प्रणाली को सदियों तक सुचारु रुप से चलने देगें.
राजा: परंतु, जब हम चूहे खाएंगे तब तो त्राहि त्राहि मच जायेगी. सब भाग जायेंगे.
मन्त्री : महाराज, ऎसा कुछ नही होगा. हम शिकार नहीं करेंगे,चूहे त्याग करेंगे, हम सिर्फ़ उनको मोक्ष प्राप्ति में, सहयोग करेंगे. यदि कभी किसी ने शिकार कर भी लिया तो उसे तुरन्त, उस मरे चूहे को चूहामति का सम्मान दिया जायेगा, उस के लिये एक पवित्र स्थान बनाया जाएगा, जहां हर साल मेला लगेगा, और जो चूहा, अपने को वहां बलि के लिये समर्पित करेगा, उस की मन्नत पुरी होगी और वह पूजनीय बन जायेगा.
राजा ; परन्तु तुम भूल रहे हो कि, चूहों क साक्षरता दर बहुत बढ गया है? वह हमरा खेल समझ जायेगें.
मन्त्री : महाराज, तभी मै ने आपको बुज़ुर्ग चूहे को मन्त्री बनाने कि सलाह दी है. शुरु में हमें काफ़ी मेहनत करनी पडेगी, परन्तु, महाराज इन्सानों मे भी कभी, नारी नामक चूहे काफ़ी साक्षर तथा सशक्त थे, सुना है कि एक युग में उपानिषद में भी अपना योगदान दिया.चिन्ता मत करिये महराज ’हम भी होगें कामयाब ’...
एक समय की बात है, दूर एक टापू पर बिल्लिओं का एक साम्राज्य था जिस पर मिआऊं नामक राजा राज करता था. उस साल राज में अकाल पडा था. राजा मिआऊ बहुत चिन्तित थे. उन्होनें अपने जासूसों को चारो तरफ़ दौडाया.जासूसों ने राजा को बताया की अकाल का कारण, चूहों की बड्ती साक्षरता दर है, तथा चूहे सशक्तिकरण मे पूरी तरह जुट गये हैं. उन्होनें एक आपातकालीन बैठक बुलवाई और इसे गम्भीरता से विचार करने को कहा. राजा के सबसे चतुर मन्त्रियों ने इन्सानों की केस स्टडी पढी और, राजा को कुछ सुझाव बताये.
राजा : आप के इस विपदा से निपटने के लिये क्या सुझाव है?
मंत्री : महाराज, हमारा सुझाव है कि, कुछ बुजुर्ग चूहों को सम्मानित कर, मंत्री पद देना चाहिये.
राजा : क्या? इस से क्या हासिल होगा? और वो क्यों आएंगे?
मन्त्री : मै आप के दूसरे प्रश्न का उत्तर पहले दूंगा. सबसे पहले, कल से हर अखबार और टीवी पर यह छपवाया जाये, की एक प्राचीन धार्मिक पुस्तक खुदाई में बाहर आई है जिस मे लिखा है की, बिल्ली और चूहे एक ही राजा उत्बिलौचू की सन्ताने हैं पर, समुद्र मन्थन के समय राजा उत्बिलौचू ने एक रिषि की पत्नी को क्रोधित कर दिया था.रिषि की पत्नी ने राजा को श्राप दिया कि तुम सब छोटे जीव बन जाओगे जिसे चूहा कहा जायेगा. राजा ने बहुत पश्चाताप किया तो रिषि की पत्नी को दया आगई और उन्होने राजा से कहा "वत्स! मै बोले वचन वापस तो नही ले सकती, परन्तु बदल सकती हुं, तुम्हारे दो पुत्रों,मिचू और मिआऊं में से एक पुत्र चूहा बन जाएगा, परन्तु याद रहे, उस पुत्र को यह श्राप स्वेच्छा से अपने पर लेना होगा.".राजा चिंता में डुब गये, यह देखकर, चूहों के पुर्वज, मिचू, आगे आये और कहा"पिता श्री! त्याग ही मोक्ष का पथ है, मै अपनी कुरबानी दूंगा और मेरी आने वाली पीडी इसी ज्ञान पथ पर अग्रसर रहेगी, तभी उन्हें मोक्ष मिलेगा. "
महाराज! इस धार्मिक पुस्तक को बडे सम्मान से एक स्थान पर रखा जाये, उस पूजा स्थल पर मिचू की मुर्ति बनाइए, प्रचार किया जाये की यही हमारी संस्क्रिति और सभ्यता है. चूहे पूजनीय हैं, त्याग की मूर्ति हैं, उनका सम्मानित स्थान है, और वह हमारे साथ रहें, हम उनको देवी का स्थान देंगे.उनको अपने पवित्र चरण हमारे घरों से निकालने कि आवश्यक्ता नही है. यही नहीं, महाराज, हम एक चूहा सशाक्तिकरण मन्त्रालय बानाएंगे. पार्लियामेन्ट में चूहा बचाव बिल पारित करेंगे.कोई भी चूहा उत्पीड्न शिकायत आने पर तुरन्त चूहा उत्पीड्न कमेटी को गठित किया जायेगा. महाराज,इस कमेटी का अध्यक्ष एक चूहा होगा जिसे हम अपोइन्ट करेंगे. यह अध्यक्ष पद वाले चूहे हम अलग से तयार करंगे, जिहें हमारे सरकारी अफ़्सर प्रशिक्शन देंगे.इस तरह एक "जी हजूर" की बिना दिमाग वाली नस्ल तैयार होगी जो हमारी इस प्रणाली को सदियों तक सुचारु रुप से चलने देगें.
राजा: परंतु, जब हम चूहे खाएंगे तब तो त्राहि त्राहि मच जायेगी. सब भाग जायेंगे.
मन्त्री : महाराज, ऎसा कुछ नही होगा. हम शिकार नहीं करेंगे,चूहे त्याग करेंगे, हम सिर्फ़ उनको मोक्ष प्राप्ति में, सहयोग करेंगे. यदि कभी किसी ने शिकार कर भी लिया तो उसे तुरन्त, उस मरे चूहे को चूहामति का सम्मान दिया जायेगा, उस के लिये एक पवित्र स्थान बनाया जाएगा, जहां हर साल मेला लगेगा, और जो चूहा, अपने को वहां बलि के लिये समर्पित करेगा, उस की मन्नत पुरी होगी और वह पूजनीय बन जायेगा.
राजा ; परन्तु तुम भूल रहे हो कि, चूहों क साक्षरता दर बहुत बढ गया है? वह हमरा खेल समझ जायेगें.
मन्त्री : महाराज, तभी मै ने आपको बुज़ुर्ग चूहे को मन्त्री बनाने कि सलाह दी है. शुरु में हमें काफ़ी मेहनत करनी पडेगी, परन्तु, महाराज इन्सानों मे भी कभी, नारी नामक चूहे काफ़ी साक्षर तथा सशक्त थे, सुना है कि एक युग में उपानिषद में भी अपना योगदान दिया.चिन्ता मत करिये महराज ’हम भी होगें कामयाब ’...
Subscribe to:
Posts (Atom)