मेरी सहेली स्वाति कभी कभी टीवी धारावाहिक देख लेती है, पर उस की ५ साल की बेटी शायद ही कभी अपने निर्धारित धारावाहिक का कोई भाग छोड़ती है.आज कल उस का प्रिय सीरियल है 'बालिका बधू' । उस का न तो वह कोई एपिसदे मिस करती है न ही उस पर वार्ता. अगर उसे स्कूल के होमवर्क की याद दलाई जाए तो वह बड़ी मासूमियत से कहती है की वह एदुकाशनाल्प्रोग्राम देख रही है।
क्या एदुकाशनल प्रोग्राम? बालिका बधू।
उस में क्या एदुकाशनल है? आख़िर में आनेवाला संदेश।
इसे कहते हैं 'फील गुड फैक्टर', कोई अपराध बोधिता के लिए कसर नही छोडी गई, धारावाहिक बनाने वाले काफी समझदार हैं.
एक दिन वह मुझ से बोली, "आंटी मम्मी को कितनी बार कहा की बालिका बधू देखिये परंतु वह मेरी सुनती ही नही हैं' । "क्यूँ बेटा, उस धारावाहिक मे क्या है, इतना जानने वाला?" वह बोली "आनन्दि के मम्मी पापा कितने समझदार है. उन्होने उस कि शादी करदी, और उस की दादीसास और भी, वह उस को पढने को मना करती हैं. एक मेरी मम्मी है, हर वक्त पढने को कहती रहती है.आनन्दि कितने सुन्दर कपडे और गहने पहनती हैं।और पता हैं, उस को मकेउप भी करने को मिलता हैं...मम्मी तो करने ही नहीं देतीं ."
Wednesday, October 14, 2009
Subscribe to:
Posts (Atom)